Tanhai Shayari by Ghalib | मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | Hindi Shayari

मिर्ज़ा ग़ालिब की तन्हाई शायरी (Mirza Ghalib ki Tanhai Shayari ) , एक लाजवाब शायरी (Shayari) जिस का कोई जवाब नहीं है , मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) ने अपने जीवन में बहुत हिंदी और उर्दू शायरी (Hindi or Urdu Shayari) लिखी है , वो आज भी शायरी ( #Shayari ) में ज़िंदा है , आज भी उनकी शायरी बात करती है , आज हम ऐसे ही मिर्ज़ा ग़ालिब की तन्हाई शायरी (Mirza Ghalib’s Tanhai Shayari)लेकर आये है , इस वेबसाइट में आपको और भी मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी (Mirza Ghalib ki Hindi Shayari ) देखने को मिल जायेगी , तो चलिए बात करते है तन्हाई शायरी बायीं ग़ालिब (Tanhai Shayari by Ghalib ), तन्हाई शायरी (Tanhai Shayari ) बहुत ही अच्छी शायरी है ,उम्मीद है आपको पसंद आएगी..

Tanhai Shayari by Ghalib

“पीने दे शराब मस्जिद में बैठ के , ग़ालिब
या वो जगह बता जहाँ खुदा नहीं है..”
Peene de sharaab masjid mein baith ke , Ghalib Ya vo jagah bata jahaan khuda nahin hai..”

 

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